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Kumar Gaurav Vimal

Drama Tragedy Fantasy

4  

Kumar Gaurav Vimal

Drama Tragedy Fantasy

बाकी रह गया....

बाकी रह गया....

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दिल-ए-जज़्बात बाकी रह गई,

एक बात बाकी रह गया...

यूँ तो आज भी मिले थे उनसे,

पर वो मुलाकात बाकी रह गया...


हालत बयां ना कर सके,

वो हालात ही इतना अज़ीब था...

मिलकर भी उनसे मिल ना सके,

बैठा जो मेरे क़रीब था...

एक ख़्वाब बाकी रह गई ,

एक रात बाकी रह गया...

यूँ तो आज भी मिले थे उनसे,

पर वो मुलाकात बाकी रह गया...


ख़्वाबों को जिनमें संभाला था,

वो नींद आख़िरकार टूट गया...

धागा प्रेम का कर के घायल, 

हाथों से बस यूँ ही छूट गया...

उम्मीदें बाकी कही खो गई ,

बस एक तात बाकी रह गया...

यूँ तो आज भी मिले थे उनसे,

पर वो मुलाकात बाकी रह गया...


ग़लती थी किसकी ये रब जाने,

 मैं तो जानूँ बस अपना हाल...

ख़ैरियत भी ना पूछा उन्होंने, 

रह गया दिल पे बस ये मलाल...

साथी यूँ तो अपना ख़ूब था,

बस उसका साथ ही बाकी रह गया...

यूँ तो आज भी मिले थे उनसे,

पर वो मुलाकात बाकी रह गया...


दिल-ए-जज़्बात बाकी रह गई,

एक बात बाकी रह गया...

यूँ तो आज भी मिले थे उनसे,

पर वो मुलाकात बाकी रह गया...


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