किताब
किताब
घर के किसी कोने में गुम है मेरी किताब।
सातवीं कक्षा में जब मैं अव्वल आया था,
घर में खुशियों की एक लहर जैसे लाया था।
आर्थिक तंगी में भी पिताजी लाये थे एक तोहफा लाजवाब,
घर के किसी कोने में गुम है मेरी किताब।
साफ़ सुथरे पन्ने रंग बिरंगे चित्र,
इसके मोह ने बनाये थे कई नए मित्र।
हीरे मोती से भी नायब,
घर के किसी कोने में गुम है मेरी किताब।
धीरे धीरे जीवन आगे बढ़ने लगा,
चलचित्र के आगे किताब का साया धुंधला पड़ने लगा।
आज जब मेरा बेटा अव्वल आया,
तो याद आयी उसकी है उसकी बेहिसाब।
घर के किसी कोने में गुम है मेरी किताब।