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Anuradha Sharma

Drama

3  

Anuradha Sharma

Drama

मध्यम वर्ग

मध्यम वर्ग

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ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले,

हाल ऐसा है कि,

एक के साथ एक मुफ्त ले ले। 


सुबह की चाय से रात के दूध तक का सफर,

उलझी हुई ज़िन्दगी, थमे तो कोई कैसे मगर। 

ख़ुशी और गम से भरे हुए मेले,

ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले। 


पैसों की नोक-झोंक से बचकर,

घर से बाहर भागना,

टूटी हुई सड़कों का,

बूढ़े स्कूटर का दम निकालना। 

दफ्तर में, मालिक के गुस्से को झेले,

ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले।


दिन-भर की थकान के बाद,

घर को लौट के आना। 

शाम की चाय जैसे सुकून का ठिकाना । 

रात का खाना घीया, तोरी या करेले,

ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले। 


मध्यम वर्ग की है ये कहानी,

लगती होगी तुमको जानी पहचानी। 

साहस से भरे हैं हम अलबेले,

ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले। 


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