जान अटकी है ऐसी, बिना उसके कैसे जिए जा। जान अटकी है ऐसी, बिना उसके कैसे जिए जा।
ख़ुशी और गम से भरे हुए मेले, ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले। ख़ुशी और गम से भरे हुए मेले, ज़िन्दगी के बेहिसाब झमेले।
किसी दास्तान में उलझ पड़े हैं, जिसे देखा नहीं कभी उस शख्स से मिलने को तरस रहे हैं. किसी दास्तान में उलझ पड़े हैं, जिसे देखा नहीं कभी उस शख्स से मिलने को तरस रह...