जीवन के बाद
जीवन के बाद
क्या होगा इस "जीवन के बाद"।
अरे भ्रमित नौजवानों,
किस वक़्त की कल्पना करते हो,
इस सुनहरे जीवन का विनाश किस सुख की चाह में करते हो।
स्वादिष्ट पकवान, परियों की दुनिया।
ये कौन तुम्हे बतलाता है,
सोचो क्या वो खुद देख कर आता है।
संभल जाओ! नहीं तो सब खत्म हो जाएगा,
तुम्हारी अज्ञानता की बलि कोई बेक़सूर चढ़ जाएगा|
जो है बस यहीं है,
तुम्हारा निर्णय करेगा दुनिया आबाद या बर्बाद,
पर ये शाश्वत है की कोई नहीं जानता क्या होगा इस "जीवन के
बाद"।
