संग जीवनी - संजीवनी हर कदम
संग जीवनी - संजीवनी हर कदम
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हर कदम हर साया हो तुम
संग हो जैसे मेरी परछाई हो तुम
जैसे चूड़ी तुम्हारी हर पल खनक जाती
साँस है मेरी वैसे आती - जाती
पायल तुम्हारे पैरो में बजती
सरगम मेरे हृदय में छिड़ती
तुम्हारे माथे का टीका औ सिंदूर
मुझमें हर पल भरता गुरूर
जब तक है ये तुम्हारा सोलह श्रृंगार
हर दिन मुझे मेरा लगता त्योहार
तुम हो साथ मेरे , तुम ही संग जीवनी हो
हर दिन जैसे मुझे मिल रही संजीवनी हो