***रोक सको तो***
***रोक सको तो***


रोक सको तो रोक लो मुझको
उड़ान भर ली है आसमां में
ऊँचाई कितनी भी हो
पंख फैला दिये है मैने
रोक सको तो ...........
नदी सा निरंतर बहूँगा
मुश्किलों से न डरूँगा
कांटों पर चलूँगा
ये ठान लिया है मैने
रोक सको तो ...........
माना मैने सपना बड़ा देखा है
हकीकत में सपने बदलने वाला कब सोता है
इतिहास रचने वाला भी तो सरफिरा होता है
हर आँधी - तुफाँ से लडने का मन बना लिया है मैने
रोक सको तो ...............
एकलव्य सा तप करूँगा
अर्जुन सा लक्ष्य भेदूँगा
मंजील से पहले नहीं रुकुँगा
मन सारथी को कृष्ण बना लिया है मैंने
रोक सको तो ............