ज़िंदगी में संभालना सीखो !
ज़िंदगी में संभालना सीखो !
ज़िंदगी की
ऊँची उड़ान को देखो .....
कभी तो इन
ऊँचे आसमान को सोचो .....
उठाओ स्वयं को
ज़मीन से फिर आसमान से पूछो ......
ऊँची सोच , ऊँचे ख्वाहिश
कभी ख्यालो के पंख लगाकर देखो ....
मिलेगी ही मंज़िल
स्वयं के हौसलों से मिलकर कह दो ...
इस दुनियाँ में अकेले
फिर भी ज़िंदगी को सींचो....
जीतोगे तुम ही हारी बारी भी
ज़रा सा गिरकर फिर
ज़िंदगी में संभालना सीखो .....!!
