ज़िंदगी को कुछ ऐसे निबाह कर लिया...!!
ज़िंदगी को कुछ ऐसे निबाह कर लिया...!!
ज़िंदगी को मैंने कुछ आसान
अपने अंदाज़ में जी कर लिया
जितनी कमी मिली है मुझको
उन सबको क़बूल कर लिया....
ना बोली, ना छीना कभी मैंने
किस्मत के साथ वफ़ा निभा लिया
ना रुठे खुद से, ना भूले ही तुमको
वक़्त के साथ खुद को जलाया मैंने
ना गिराया किसी को, बस देखी दुनिया
हौसले को जिया और अदा है किया ...
कभी ज़मीन से आसमां है देखा
दूर से ज़माने के बदलते रंग देखा
फ़ितरत यही सादगी ओढ़े अपनी
किसी को दिखा, क्या हासिल मुझको
मेरी रुह ने इस कदर पाया तुमको
सबको यहाँ अपने हिस्से का मिला है
अपने किस्से से कब किसको गिला है..
अपना दर्द लगता सबको ही ज्यादा
दूसरे का सोच कब किसे समझ आया
बात गर अपने की तो क्या कहें, क्या सुने
मर्यादा में रहकर मैंने निभाया है खुद को
गैरो से शिकवा नहीं, हाँ, बस देखा तुमको
दूर के ढोल भी सुहावने लगते ये भी ज़िंदगी ...
गुमनाम खुशियों में खुलकर एहसास को पाया ....
किसी के बद्दुआ भी लगी हो तो क्या कहिये
लेकिन दुआओ ने भी खूब संभाला मुझको
दिल ने चाहा, दिल ने बस पूजा है तुमको
ज़िंदगी को मैंने कुछ ऐसे निबाह कर लिया ....!!