बस अब तेरे साथ निभा के उस कायम करना चाहती हूँ। बस अब तेरे साथ निभा के उस कायम करना चाहती हूँ।
उसके ही घर में उसके किस्से नहीं होते उसके ही घर में उसके किस्से नहीं होते
इसलिए तेरे साथ हर पल मोहब्बत जीने लगते हैं। इसलिए तेरे साथ हर पल मोहब्बत जीने लगते हैं।
सपनों की डोली में, तब हर ख्वाब सजने लगते हैं। सपनों की डोली में, तब हर ख्वाब सजने लगते हैं।
बोलना करते हैं देते हैं बन्द जैसे इन्हें भी चुप्पी ही रास आई। बोलना करते हैं देते हैं बन्द जैसे इन्हें भी चुप्पी ही रास आई।
जलता नहीं ये शहर, मेरे दिल में, धुआँ ही धुआँ मगर... तपती हैं आंखें मेरी... कोई तो गिरा दो मेरे... जलता नहीं ये शहर, मेरे दिल में, धुआँ ही धुआँ मगर... तपती हैं आंखें मेरी... क...