चाहत
चाहत
पल दो पल की जिंदगानी,
बस एक साथी चाहिए।
जो हाथ थाम के उम्र के
हर पहलू काट सके,
जवानी का निखरा चहरा
या बुढ़ापे की झुर्रियों
में डबे राज जान सके।
कभी बेवजा ही आपकी
बिगड़ी रसोई का यूँ ही लुफ्त उठाये,
अगर डर जाऊँ में दुनिया की रीति से
वो सासॅ बनकर जीने का हौसला दे।
मोहब्बतों के किस्से तो कई सुने,
बस अब तेरे साथ निभा के
उस कायम करना चाहती हूँ।