किताबे
किताबे
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किताबें ,
ज़िंदगी का आईना बनती है,
ओर खुद को तरासने की राह।
अजीब है यह भी!
दोस्त बनकर जिंदगी भर साथ रहेती,
न जाने कितनी ठोकर से बचाती है,
ओर हमारी डाट को भी झेलती तु!
अजीब होती है किताबें !
कभी कविता के पन्नो से भरी,
कभी किसीका जीवन विस्तार,
हर रूप मे तु नया देती!
कैसे तु कर लेती।
एक बार पढ तुझे रद्दी मे फेकता कोई,
तो कोई तुझे उस रद्दी से लेकर पढता,
चाहे तेरा दाम इधर उधर हो थोडा,
पर सही अर्थ मे बहूमुल्य है तु!
किसी की सपनो की उडान,
किसीके निडरता का सहास,
किसी के लिए बोधपाठ,
जिसको जैसी जरूरत उस रूप में
तु प्रेरणा बनती!
अमुल्य होती है किताबें ं ।