नजदीकियाँ
नजदीकियाँ
माना आज फासले कितने ही क्यु ना हो!
नजदीकियाँ कम थोडी हुई है।
आजकल बातै नही होती उनके साथ,
काहानी अभी पूरी कहा है!
मिलना तो दुर उनका चेहरा भी नही देखा,
पर आख मे तसवीर तो छपी है!
कुछ रिश्ते कायम रहेते,
ये फासले तो वक्त का दिया जख्म है।