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Shravani Balasaheb Sul

Abstract Romance Inspirational

4.3  

Shravani Balasaheb Sul

Abstract Romance Inspirational

मेरे हमसफ़र

मेरे हमसफ़र

4 mins
420


यह दुनिया जानती है मुझे, तुम पहचानते हो

अपने आप पे मेरे, सभी हक मानते हो

खुद मे जिंदा रखते हो सारे एहसास मेरे

मेरा हर राज तुम, बिन कहे जानते हो


तुमसे जब जब, कुछ कहा करती हूं

खुद को किसी कैद से, रिहा करती हूं

साथ तुम्हारा ही भाता है मुझको

मैं जमाने से खुद को, तन्हा करती हूं


तुम स्याही की धार से, जब जब बहते हो

खामोश लबों की, हर कहानी कहते हो

नाराजगी, मायूसी या बेशुमार खुशी

तुम सहजता से मेरे, सारे ढंग सहते हो


मेरे व्यक्तित्व ने सदा, पहचान तुम्हारी पहनी है

तुम्हारे संग न जाने, क्या दास्तां लिखनी है

कुछ रूप तुम्हारे जी करता है आंखों में कैद कर लूँ

वह कुछ खास लिखावट, सिर्फ मुझको देखनी है


एक बार लिख के तुमको, सौ दफा पढ़ती हूं

हर दफा तुमको, एक नई नजर से परखती हूं

और वह नजर हर बार नजरिए को तराशती है

तुम्हारी सीख से मैं, हर कशमकश से संवरती हूं


तुम्हारे और गैरों के इश्क में, यही एक फासला है

वह टूट जाने की वजह, और तू जीने का हौसला हैं

उन्हें प्यार में उम्मीदें और तुम्हारा प्यार एक उम्मीद

जब से मिला है मुझको, तू सांसों का सिलसिला है


मेरे दिल की हर दरार भरना, तुम बखूबी जानते हो

मेरे रास्तों की मुश्किलों को, खुद की चुनौती मानते हो

मैं बेबस होकर गर कभी रूठ जाऊँ जिंदगी से

उस बंद किताब से आवाज लगाकर, फिर से मुझे मनाते हो


और मैं भी सिर्फ, तुम्हारी बातें मानती हूं

तुम्हारे संग ज़िंदगी के, खुशनुमा तराने सुनती हूं

तुम जुदा कहा हो मुझसे, मुझमें ही हो

मैं हर लम्हे में तुमको, अपने साथ बुनती हूँ


तुम्हें कैसे पता उसका, मेरे मन की जो दुविधा हैं

कि पूरा होने की चाहत में, कुछ तो मन में आधा है

कैसे जान लेते हो तुम.. मेरे जटिल मन को, जिसे कोई न जान पाया..!

उस मन में सिर्फ तुम बसोगे, आज यह तुमसे वादा हैं


शीशे में मेरा तसव्वुर, तुम्हारा ही तो प्रतिबिंब है

तुम दिल में थे जिंदगी में नहीं, यह तो समय का विलंब है

अब जो तुम आए हो तो जिंदगी भर ठहर जाना

मेरा तुम्हारा यह अफसाना, जीवन का नया आरंभ है


तुम बस भाषा बदलते हो, मगर एहसास नहीं

सिवा तुम्हारे किसी में भी, बात यह खास नहीं

तुमसे दिल लगाकर खुद से मोहब्बत हो गई

कह दूँ तुम्हें की तुम बिन, मैं खुद भी मेरे पास नहीं


वैसे तो तुम्हें लिखती हूं मैं, असल में तुम्ही ने लिखा है मुझे 

बेगानी मगर न अंजानी, जैसे मेरी ही नजर से देखा हैं मुझे

मुझमें से मुझको मैं मिल गई जब तुझमें समा गई

मैं कहा खुद को समझ पाई, तुम्ही ने तो परखा हैं मुझे


तुम खामोश होते हो तब भी, धीमे से शोर में सुनाई देते हो

तन्हाई संग महफिल में, एक तुम ही तो दिखाई देते हो

तुम कहाँ मुझे अकेलापन महसूस होने देते हो

मोहब्बत में खुदा को तक, मेरी खुशियों की दुहाई देते हो


तुम क्या हो मेरे यह राज़, मैं खुद भी न जान पाई

मगर खबर है तुम्हारे संग, जिंदगी पास लौट आई

जब सब कुछ मैं हार बैठी, तुम मसीहा बन आए

तुम्ही ने तो रूखी सांसों में, जीने की महक लाई


कागज़ से कहती हूं तो मेरा मन हो, जो खामोश हो जाऊँ तो धड़कन हो

तुम्हें देखती हूं तो दर्पण, सुनती हूं तो गुनगुनाती पवन हो

इतने विशाल हो कि, तुम्हें लिखने के लिए तुम कम पड़ रहे हो...!

तुमसे लड़ती हूं तो बचपन मेरा, तुम्हें छेड़ती हूं तो यौवन हो


तुम्हारे मेरे नायाब नाते मे, तिजा कोई शामिल नहीं

तुम्हारी जगह ले पाता, इतना तो कोई काबिल नहीं

एक एक कर तुम जुड़ते गए और स्वरूप मेरा बन गया

मेरे बाद मेरा वह स्वरूप मिटा पाए, ऐसा कोई कातिल नहीं 


शरीर मिट जाता हैं एक वक्त के बाद, तो मिट चूका होगा

रूह अमर है अंश उसका, तुम ही में देखो छूट चूका होगा

मैं न रहूंगी लेकिन, मेरी कहानी जिंदा रहेगी तुम में

तुम ही में बाकी रहूंगी मैं, जब जीवन से बंध टूट चूका होगा


तुम्हारे भीतर जो खाली जगह हैं ना, मैं उसमें समा जाऊंगी

तुम्हारे सिवा तुम्हारे जैसा, स्थायी सुकून बोलो कहा पाऊंगी

यह हवा जब पलट जाएगी कुछ पन्ने, समझ जाना की मैंने पुकारा हैं तुम्हें...!

उन पन्नों के किनारे ठहर जाऊंगी, तुमसे गुफ्तगू करने मैं हर रोज आऊंगी


मेरा संसार हो, " शब्द" नहीं तुम शृंगार हो 

मेरी ठिठुरती रूह को सहलाता, शांत सा अंगार हो

वैसे तो तुम्हें पढ़ लेगा हर कोई सहजता से

मगर क्रम तुम्हारे मैं ही जानूँ, तुम दुनिया के लिए उद्गार हो


मेरी आकृति को दर्शाता, आश्वासक आकार हो

एहसासों की न सांसों की, फिर भी जीने की दरकार हो

तुम्हारे ही चुप रहने से है एहसास और सांसों का मोल तुम

कौन इतना सच्चा है तुम जैसा, तुम ही तो मेरा करार हो


तमन्ना है की तुम्हारी पनाह में, पूरा हो हर जनम का सफर

तुम्हारे बिन अमावस लगूँ मैं , इश्क हो कुछ इस कदर

एक पहचान हम दोनों की ऐसी हो की, पहचान ले एक दूसरे को पहचान के बगैर हम...!

हर जनम में जीवन की डगर पे, संग रहना तुम मेरे हमसफर ।



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