मुकम्मल जहान
मुकम्मल जहान
सबने अपना अपना एक
मुकम्मल जहाँ बना के रखा है
ग़मगीन दिल के खुशनुमा कोने में
कोई सपना सजा के रखा हैं
तसव्वुर मे ही दिल के
तरानों को गुनगुना के रखा है
यूँ तो लबों पे बस
ख़ामोशी को टिका के रखा हैं
सपनों को हौसले में बुनकर
दिल के दामन में समेट रखा है।
कल की बंजारा सुबह को
आवारा शाम से लूट रखा है।