STORYMIRROR

रमाकांत सोनी

Inspirational

4  

रमाकांत सोनी

Inspirational

एक मुसाफिर मैं मंजिल का

एक मुसाफिर मैं मंजिल का

1 min
259


एक मुसाफिर मैं मंजिल का,

रफ्ता रफ्ता बढ़ता जाऊं,

सर्दी गर्मी प्यास सताए, 

हर मुश्किल हल करता जाऊं।


आंधी और तूफानों से, 

तनिक नहीं घबराऊंगा, 

ध्येय लिया है लक्ष्य किया है, 

नित आगे बढ़ता जाऊंगा।


मिले राह में दीन दुखी जो, 

उनको गले लगा लूंगा, 

वक्त के मारे हुए जगत में,

मिलकर उन्हें संभालूंगा।


प्रेम के मोती लेकर जग में, 

सदा लुटाता जाऊंगा, 

दीपक बनकर करूं रोशनी, 

राह दिखाता जाऊंगा।


एक मुसाफिर मैं मंजिल का, 

पल पल बढ़ता जाऊंगा,

जो खुशियों को तरस रहे, 

एक आस की जोत जलाऊंगा।


परम प्रभु सब खुशियां बांटे, 

दर पर जा टेर लगाऊंगा,

खुशहाली जब जग मैं देखूं, 

खूब खुशियां मनाऊंगा। 


सद्भावों की धारा में नित, 

गोते खूब लगाऊंगा,

चंदन तिलक लगा माथे पर, 

शान से बढ़ता जाऊंगा। 


पथ का पथिक एक मुसाफिर, 

राह में चलता जाऊंगा,

जीवन की हर पगडंडी पर, 

अपना हुनर नया दिखाऊंगा।


सब्र साथ धीरज रखूंगा, 

साहस की भरमार मगर, 

तीर और तलवार बनूँ मैं, 

सामने शत्रु रहे अगर।


दीनों का गर बनूँ सहारा, 

दुष्टों का प्रतिकार करूं, 

जीवन की गाड़ी में बोलो,

क्यों अन्याय स्वीकार करूं।


स्वाभिमान से भरा हुआ, 

हर कदम आगे कर लेता हूं। 

मैं मंजिल का एक मुसाफिर,

अपनी मस्ती में चल लेता हूं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational