रामसेतु प्रेम का प्रतीक है
रामसेतु प्रेम का प्रतीक है
मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्र ने
लंका पर करी चढ़ाई थी
समुद्र पार करने की विकट
घनघोर समस्या आई थी।
सिंधु तट पर तब राम प्रभु ने
महादेव का ध्यान किया
रामेश्वरम की करी स्थापना
आराध्य गुणगान किया
नल नील ने प्रस्तर डाले
राम नाम अंकित करके
वानर सेना ला रही उठाकर
पाषाण चट्टाने एक-एक करके
राम काज में जोश भरा था
शौर्य साहस भरा भरपूर
लंका नगरी सोने की थी
लंकापति था मद में चूर
सिंधु पर सेतु निर्माता जितने
रण योद्धा सारे निर्भीक है
सत्य की जीत संभव है
रामसेतु प्रेम प्रतीक है
राम सिया के प्रेम का सेतु
राम सेतु कहलाता है
जहां जानकी रहती हो
वहां राम मिल जाता है
सच की खातिर रणभूमि
रघुकुल की आन रही
राम रावण युद्ध हुआ
सत्य की सदा शान रही
करुणा सागर श्री राम के
नाम से पत्थर तिर जाते
जिन पर कृपा राम की होती
उनके दिन भी फिर जाते
राम नाम सुमिरन से ही
भवसागर पार हो जाता
धन्य धन्य है रामसेतु
चरण पद प्रभु के पाता!
