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Dhara Viral

Inspirational

4.7  

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साक्षात ईश "मां"

साक्षात ईश "मां"

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एक छोटी सी आह से भी मन की बात कैसे जान लेती हो ?

अपनी परेशानियों को दिल के किस कोने में छिपा लेती हो ?

मेरी हर दुविधा का हल पल में कहां से ढूंढ ले आती हो ?

"मां"तुम साक्षात ईश हो ये बात क्यों नहीं मान लेती हो ?


मन ही मन में घुटती हो चिंता को नहीं जताती हो,

मुझे तकलीफ़ ना पहुंचे ये सोच कभी कुछ न बताती हो,

"मैं हूं तेरे पास" ये भाव चंद शब्दों से ही दिखा देती हो,

"मां" तुम साक्षात ईश हो ये बात क्यों नहीं मान लेती हो ?


कभी हल्के डांटती थी तो कभी प्यार से पुचकारती थी,

दुलार के भिन्न-भिन्न तरीके हर बार लेकर आती थी,

आज भी उसी एहसास से खुशी के नए रंग भर देती हो,

"मां" तुम साक्षात ईश हो ये बात क्यों नहीं मान लेती हो,


मां हेतु मनोभावों को आज मैं खुलकर व्यक्त कर पायी हूं,

मां बनकर ही इस पावन शब्द का सच्चा अर्थ जान पाई हूं,

सच,अपने त्याग व संघर्षों को मन में रख कर खुश रहती है,

"मां तो सिर्फ मां होती है" ईश कहां बनना चाहती है,


बस कोशिश करना चाहती हूं कि कुछ तुम जैसी बन पाऊं,

"मां" तुम्हारी हर मुस्कान पर हजारों बार वारी जाऊं।


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