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Dhara Viral

Others

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कुछ ख्वाब और (सकारात्मकता)

कुछ ख्वाब और (सकारात्मकता)

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ख्वाब सजे इन आंखों में और नींद कहां से ले आऊं

उम्मीदों का हथियार लिए बस दौड़ पड़ू ना थम पाऊं

सपने अभी अधूरे हैं मैं चैन से कैसे सो जाऊं!


कभी गिर जाऊं कभी लड़ जाऊं

स्वाभिमान का साथ लिए बाधाओं से भी भिड़ जाऊं

संघर्षों की तपती भूमि पर आशा की बारिश बन‌ जाऊं

सपने अभी अधूरे हैं मैं चैन से कैसे सो जाऊं!


नव भोर की मैं आस लिए हर रात ख्वाब सजाती हूं

नव ऊर्जा का संचार लिए खुद को खुद से मिलवाती हूं

अंतर्द्वंद्व से जीत का मैं साक्षात प्रमाण बन कर आऊं

सपने अभी अधूरे हैं मैं चैन से कैसे सो जाऊं!

 

       


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