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Dhara Viral

Inspirational

4  

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एक और आज़ादी

एक और आज़ादी

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घबराए सकुचाए से हम खुलकर जीने से डर रहे हैं

इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की चाह कर रहे हैं

मन में भय और चेहरे पर चिंता का भाव लिए

अपनों के सकुशल होने की आशा साथ लिए

हम ईश से विनती बारम्बार कर रहे हैं

इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की चाह कर रहे हैं।


कहीं मजबूरी तो कहीं असहनीय पीड़ा

कहीं निराशा तो कहीं मन को झकझोरता घाव गहरा

आखिर कब तक? जैसे प्रश्नों को साथ लिए

दूर से ही सही पर अपनों का हाथ लिए

सकारात्मकता के सेतु पर चले जा रहे हैं

इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की चाह कर रहे हैं।


 मानवमात्र पर इस असुर रुपी रोग का डर गहरा है

 पर दुःख का बादल भी कहा सदा के लिए ठहरा है

 कर्मवीरों के प्रति अपना विश्वास लिए

 नव आस की भोर नव पथ का प्रभास लिए

 स्वयं को भी कुछ कुछ बदलते जा रहे हैं

 इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की चाह कर रहे हैं।


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