घबराए सकुचाए से हम खुलकर जीने से डर रहे हैं इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की चाह कर रहे घबराए सकुचाए से हम खुलकर जीने से डर रहे हैं इस कठिन घड़ी में एक और आजादी की च...
रात में कम्बल ओढ़कर सोना, बच्चों, बदल रहा है मौसम।। रात में कम्बल ओढ़कर सोना, बच्चों, बदल रहा है मौसम।।
धन्य मानूँगी गर बन पाऊँ माँ आपके लड़खड़ाते क़दमों की ताकत। धन्य मानूँगी गर बन पाऊँ माँ आपके लड़खड़ाते क़दमों की ताकत।