तुम आई अपना शृंगार लिए , तुम आई फिर अभिसार लिए ! तुम आई अपना शृंगार लिए , तुम आई फिर अभिसार लिए !
वक्त की लहर हमें चिढाते हुए जा रही है.... खुद को करके आजाद हमें पिंजरे में कैद करते हुए। वक्त की लहर हमें चिढाते हुए जा रही है.... खुद को करके आजाद हमें पिंजरे में कै...
इक रहस्य जो विस्मित आज पनाह में समेटे मौन रात। इक रहस्य जो विस्मित आज पनाह में समेटे मौन रात।
ढूंढेगी कहा ऎ सज़नी जब मैं ना रहूंगा। ढूंढेगी कहा ऎ सज़नी जब मैं ना रहूंगा।
हूंँ मैं तुम्हारे जीवन की औषधि और रोटी युगो से तुम्हें जीवन देने की मैं हूँ बाह जोटी हूंँ मैं तुम्हारे जीवन की औषधि और रोटी युगो से तुम्हें जीवन देने की मैं हूँ ...
हर दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर खुली हवा में करे योग। हर दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर खुली हवा में करे योग।