अथाह हो तुम, विस्मृत करूँ तुम्हें कैसे। अथाह हो तुम, विस्मृत करूँ तुम्हें कैसे।
इक रहस्य जो विस्मित आज पनाह में समेटे मौन रात। इक रहस्य जो विस्मित आज पनाह में समेटे मौन रात।
बिना मांगे तुमने सदा दिया मैं विस्मित हूँ, सब कार्य किया बिना मांगे तुमने सदा दिया मैं विस्मित हूँ, सब कार्य किया
ये ढूंढ रहे किसको जग में शामिल तो हूँ तेरे रग में, तेरा ही तो चेतन मन हूँ क्यों ढूंढे ये ढूंढ रहे किसको जग में शामिल तो हूँ तेरे रग में, तेरा ही तो चेतन मन हूँ क्य...