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Aarti Sirsat

Inspirational

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Aarti Sirsat

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वक्त की लहर

वक्त की लहर

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वक्त की लहर हमें चिढाते हुए जा रही है....

खुद को करके आजाद हमें पिंजरे में कैद करते हुए जा रही है....


होकर अश्व पर सवार, हाथों से हमारे 

रेत की तरह फिसलते हुए जा रही है....


खाली पड़ी है जिन्दगी की किताब

गमों की दास्तां हमें सुनाते हुए जा रही है....


ठहरा कर हमें एक जगह पर 

सात कदम हमसे आगे चलते हुए जा रही है....


ताले लगाकर हमारे मुँह पर,

हम पर हँसते हुए जा रही है....


वक्त हर किसी का कभी ना कभी तो आता है,

वक्त की लहर हमें सिखाते हुए जा रही है।



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