रक्खें तन से दूर हमेशा,तरह तरह-तरह के रोग
रक्खें तन से दूर हमेशा,तरह तरह-तरह के रोग
रखना तन मन स्वस्थ अगर तो,नित्य कीजिए योग
रक्खें तन से दूर हमेशा, तरह-तरह के रोग
गुरु दुनिया का बन भारत ने,दिया योग संदेश
मिटते नियमित योगासन से,तन के सारे क्लेश
स्वस्थ सदा हो अगर प्रफुल्लित, होती अपनी देह
सबमें रहता है उस घर में,'ज्योति'आपसी नेह
मिलकर जब हम भारतवासी, करें अभ्यास योग
रक्खें तन से दूर हमेशा,तरह-तरह के रोग
स्थिर मन को अपने कीजिए,करके प्राणायाम
तन मन को ओ टू का मिलता,समझो तो आयाम
जॉगिंग वाकिंग का करना तुम,सुबह शाम अभ्यास
टेंशन,शुगर औ ब्लडप्रेशर , नहीं रहेंगे पास
आधुनिक जीवन शैली'ज्योति' बड़ा रहा है भोग
रक्खें तन से दूर हमेशा, तरह-तरह के रोग
खाता जाने ही क्या-क्या अब,मानव बन अंजान
जंक फूड और माँसाहार,जो मना करे विज्ञान
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े,रहे करोना दूर
असाध्य रोगों का भी करे,सपना चकनाचूर
जागरूकता जरूरी अभी,कदम उठाएँ लोग
रक्खें तन से दूर हमेशा,तरह-तरह के रोग।
