राहों से ना घबराना
राहों से ना घबराना
राहों से ना घबराना,
मंज़िल पर ध्यान लगाना तुम,
एक दिन मंज़िल पग चूमेगी,
ये सोच के बढ़ते जाना तुम !
राह में कई रुकावट होंगी,
कभी डर की भी कुछ आहट होंगी,
कभी कंटक पड़े मिलेंगे पथ पर,
चलते हुए कभी थकावट होंगी,
ये सभी परीक्षाएं लेंगे,
इन सबसे ना डर जाना तुम,
एक दिन मंज़िल पग चूमेगी,
ये सोच के बढ़ते जाना तुम !
कभी निराशा का अंधेरा,
जीवन में फैला पाओगे,
कोई ना होगा पास तुम्हारे,
अकेले बस रह जाओगे,
पर इस निराशा के सागर से भी,
सफलता का मोती ढूंढ के लाना तुम,
एक दिन मंज़िल पग चूमेगी,
ये सोच के बढ़ते जाना तुम !
दिकभ्रमित करने जीवन में,
कुछ लोग तुम्हें मिल जाएंगे,
तुम्हारी मेहनत पर हंस देंगे,
मूर्ख तुम्हें बताएंगे,
पर मेहनत को ही जीवन में,
बस मूलमंत्र बनाना तुम,
एक दिन मंज़िल पग चूमेगी,
ये सोच के बढ़ते जाना तुम !
