नेह गीत
नेह गीत
कुछ नेह गीत मेरे,
अधूरे पड़े हैं बरसों से,
उस बारिश के इंतज़ार में,
जिसकी बूंदें भीग सकें,
मेरे मन को भीतर तक
अधूरे पड़े हैं ये गीत मेरे
प्रेम नीर के छलकते हुए
पैमाने को देखने के लिए
जिसमें डूब सके
मेरी तन्हाई और अकेलापन
देखना चाहते हैं ये तुम्हें ही
हर अल्फ़ाज़ में कविता के,
पर तुम नहीं आते
तो अधूरे रह जाते हैं ये गीत
ये मेरे नेह गीत अधूरे ही सही पर मेरे हैं
ख्वाहिश है ऐसी कि कभी आओगे तुम
बारिश की बूंदों में या छलकते जाम में
अब उसी दिन पूर्णता मिलेगी,
मुझे भी और मेरे गीतों को भी।

