मैं सीखना चाहता हूँ
मैं सीखना चाहता हूँ
मैं सीखना चाहता हूँ
पतंग उड़ाना ,
ताकि सिखा सकूँ उसे भी ,
जिससे जाने वो अनहद सीमाएँ
अपने भीतर छीपी अनंत संभावना।
मैं सीखना चाहता हूँ
कंचे खेलना ,
ताकि जोड़ सकूँ उसे मिट्टी से
जिससे गुमे गर वो अनहद की खाई में
तो याद रहे औकात अपनी
मैं सीखना चाहता एक वाद्य ,
ताकि बता सकूँ उसे ,
जीवन गर है दुःख
तो, संगीत उसका आनंद
मैं सीखना चाहता हूँ ,
वो सब जिससे रह सकूँ करीब उसके
जो थामेगा कल,
अपनी नन्ही अंगुलियों से धड़कन मेरी ।
