घर
घर
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मैं,
जोड़ूँ कुछ तिनके रूपी
स्वप्न...
जो जुड़ने के बाद
बनाते इक मकान।
और तुम
जिसे अपनी ख़ुशबू से
बनाओगी
सुंदर सा इक
"घर"जैसे,
बांधते "घर" परिंदे।।।