मंज़िल मिलती साथ मिले जो अपना मान जिसे अनजाना। मंज़िल मिलती साथ मिले जो अपना मान जिसे अनजाना।
जीवन की डाली से, सूखे पत्तों की तरह, झड़़ जाते हैं झूठे रिश्ते नाते। जीवन की डाली से, सूखे पत्तों की तरह, झड़़ जाते हैं झूठे रिश्ते नाते।
तुम्हारे हार में ही उनकी जीत है, सब कहते है, हम तुम्हारे मीत है। तुम्हारे हार में ही उनकी जीत है, सब कहते है, हम तुम्हारे मीत है।
क्योंकि हमें तो यहां आना ही था यही सोचकर इस मन को कई बार बहलाया है। क्योंकि हमें तो यहां आना ही था यही सोचकर इस मन को कई बार बहलाया है।
लक के कारण मिलते हैं कभी बिछड़े यारी नाते भी।। लक के कारण मिलते हैं कभी बिछड़े यारी नाते भी।।
देखा जाये तो गलती किसकी, जो कहता है या... देखा जाये तो गलती किसकी, जो कहता है या...