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Disha Singh

Inspirational

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Disha Singh

Inspirational

कुछ बातें

कुछ बातें

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पहले आते थे 'रिश्तेदार'

अब आते हैं 'पड़ोसी'।

लोग क्या कहेंगे 

करते थे ये 'सवाल'।

अब नये नये तरीके

आजमाते हैं सभी,

देखा जाये तो गलती

किसकी, जो कहता है या

फिर जो चुपचाप सुनता है। 


जहाँ इगो की बात आती है 

सभी मुँह मोड़ लेते हैं,

और बुराई कितनी भी हो

पर ख़ुद के मियां-मिट्ठू बन जाते हैं।

इंसानियत के बारे में वही लोग

निबंध भी लिख जाते हैं।


जनाब थोड़ा आप संभल कर देखिये 

 जो जाता है वो लौट कर आता भी है,  

मेरी मानसिकता पर सवाल उठाने वाले 

कौन हैं ये लोग? 

क्योंकि इनके पास सारे

सवालों का हल है 

तो फिर भाई साहब आप

क्यों नहीं बन जाते 'गूगल' हैं।


आपकी सोच के लिये धन्यवाद 

कहते हैं पर 

आगे चलिये साहब ज़िंदगी

की लाठी चढ़नी बाकी हैं अभी,

खुद गड्ढे में न गिर जायें 

इसलिये पहले संभल जायें सही।।


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