माँ की लोरी
माँ की लोरी
मेरी बाहों में झूला झूल
हल्की थपकी से निंदिया बुलाये
आ तुझें में ले चलूँ सपनों के नगर में
थामे मेरी बाहे,
तू जाये जहाँ भी साथ मुझमें समाये
ममता के आँचल में लिये
लोरी गुनगुनाये
मिचकि आँखों की ,
माले छोटे नाक
हाथों से जब तू इस्पर्श करे चेहरे को
हो सुकून का एहसास,
लुका- चुप्पी खेल तू संग खेले
तेरी नादानियों से मन को जीते,
छोटे -छोटे कदम मेरी ओर बढ़ाये
माँ- माँ कह कर जब तू मुझे पुकारे
है ये अनोखा रिश्ता
सबसे खूबसूरत जीवन का हिस्सा ।