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Disha Singh

Abstract Tragedy Action

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Disha Singh

Abstract Tragedy Action

डर कर मत बैठो

डर कर मत बैठो

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डर कर मत बैठो

ये तड़पाते हुए दृश्य देख कर,

ज़िंदगी पल भर की गुलाम हैं,

यहाँ एक-एक इंसान कुछ वक्त का मेहमान हैं,

इस डर में मैंने मौतें देखी हैं,

बेसहारा, बेघर, बेबस आंखें रोती हैं,

हर तरफ अफरा तफरी का मंज़र नज़ारा हैं 

ये खौफनाक दस्तक फ़िर से इशारा हैं,

गलतियां बहुत सी हुई, 

इनमें कुछ सुधरी भी गयी,

पर अब जो हो रहा हैं 

वो भयानक रूप ले रहा हैं 


हिम्मत जुटा लो किसी अपने को खोने के लिये,

इंसान अपने साँसों के लिए भीख मांग रहा हैं,

देख रहे हो न कितने जान गवा चुके हैं

अब भी अगर नहीं रुके,

ये खेल चलता रहेगा,

मुर्दे को श्मशान में जलाया जाता रहेगा, 

कुछ नहीं कर सकते, तो अपने घर पे रहो।

दूसरों के लिये दुआ जरूर मांगो

हैं ये मुश्किल की घड़ियां

कभी तो पार हो जाएगी,

अगर हम एक- दूसरे की मदद जो करें 

किसी के घर का चिराग बुझा न पायेगी,

कोशिश के दम पे 

साँसें अब भी भरी जा रही हैं,

इस धरती की सुंदर बगीया की सुरक्षा में,

जज़्बे के साथ लड़ाई की जा रही हैं । 



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