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Disha Singh

Tragedy Classics Inspirational

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Disha Singh

Tragedy Classics Inspirational

मेरी खूबसूरती

मेरी खूबसूरती

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कितना आसान होता हैं कहना,

कि जाओ जो मान में आये वो करो,

अपने सारे सपनें को जियों,

कोई नहीं रोकेगा तुम्हें,

आपने आप को पहचानों,

और खुद के क़ाबिल बनो।


पर जब आईने के सामने खुद को,

उस दाग के साथ देखती हूँ,

तो बढ़ते हुऐ क़दम वहीं रुक जाते है,

और कहते हैं मुझसे,

सज़ा भी ऐसी मिली की छुपा नहीं सकती,

दर्द भी ऐसा मिला की बात नहीं सकती।


क्यों डरती हूँ मैं खुद का सामना करने से,

लोगों की नज़रों से खुद को बचाना चाहती हूँ 

ये सोच कर की लोग इस दाग़ का

मज़ाक उड़ाएंगे और मुझसे सवाल पूछेंगे ?

क्या इस दाग़ के साथ तुम जी पाओगी ?

क्या इस दाग़ को अपना बना पाओगी ?


कहता हैं मेरा मान खुद से,

क्यों करूँ में दूसरों की परवा,

जब उन्होंने नहीं किया,

देखा हैं मैंने तुम्हें छुपकर,

जब तुम उस दाग़ को देखती हो,

और कहती हो खुद से एक दाग़ से

पूरी ज़िंदेगी तो नहीं रुक जाती हैं।


पर क्या तुम जानती हो की इस दाग़ के साथ

तुम कितनी खूबसूरत लगती हो।

इस दाग़ के साथ अपनी खुशी को जियो,

और करो वही जो तुम्हे पसंद हो,

दूसरों की परवा मत करो,

खुद से तुम प्यार करो।


"तुम खूबसूरत हों अपने लिए"

फिर इस दाग़ को क्यों हैं छुपाना,

तो फिर जाओ ना बता दो सबको,

की तुम डरती नहीं हों,

आज़ाद कर दो खुद को और कह दो 

मुझे प्यार इस दाग़ से और 

ये ज़िंदगी मेरी है और मेरी ही रहेगी 

इस दाग़ के साथ में हमेशा खूबसूरत ही देखूँगी।


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