बहुत दिनों के बाद कोई लौट आया
बहुत दिनों के बाद कोई लौट आया
बहुत दिनों के बाद कोई लौट आया है ,
अपनी कमज़ोरी सोज़ के शरर लिये ,
ख़ुद में कुछ ढूंढ लाया है,
खो गया था जो इन अंधेरों में ,
थक गया था जो लोगों के उपेक्षा से ,
देखने की तमन्ना से,
आँखों में फ़िर से संजोये सपनें
अपनी आग़ोश के साथ बावर हो के आया है ,
बहुत दिनों के बाद कोई लौट आया है ,
अपनी काबिलियत को सीमित न रखते हुये ,
वो बहते झरने की तरह,
सागर के गागर से अपना सुकून संग लाया है ,
अपने अनुभव से सीखें किस्सों को ,
क़िस्मत के खोटे सिक्कों को ,
कविताओं के स्तुति से ,
अपने हुनर की प्रतिभा से ,
हर कल्पना-शक्ति को एक नई दिशा देते हुए ,
बुलंद इरादे रखते हुये ,
रचनाकार बन के आया है
कोई अब जा कर लौट आया है ।