एक बार फ़िर से बचपन जी लेते हैं|
एक बार फ़िर से बचपन जी लेते हैं|
एक बार फ़िर से बचपन जी लेते हैं,
इन बच्चों के साथ मिल के,
उन यादों को ताज़ा कर लेते हैं,
आओ चलो उस बचपन की ओर
जहां भोलेपन की सूरत है,
मासूमियत की झलक है,
छोटे कदमों की आहट है,
सुकून भरी राहत है,
एक बार फ़िर से बचपन जी लेते हैं,
हर समय में, हर उम्र में,
पड़ाव के बदलते रूप में ,
हमारा बचपन मन के कोने में,
आज़ाद घूमता रहता है,
सीख कितनी भी पुरानी क्यूँ न हो,
मुश्किलों को एक झटके में हल कर देता है,
गुलदस्तों जैसा अलंकृत कर देता है
ये बचपन बहुत कुछ दे के चला जाता हैं
एक बार फ़िर से बचपन जी लेते हैं,
ऊँचाई को पाना,
मंज़िल की ओर जाना,
आगे बढ़ते रहना ,
कोशिश की डोर को थामे हुये चलना ,
एक बार अपने बचपन को पीछे मुड़कर कहना
ज़माना चाहें जैसा भी रहा हो,
वो आज से बेहतर था ,
कल की किसको परवाह थी ,
वो थोड़े - थोड़े खुशियों से भरपूर था।