भावाभिव्यक्ति
भावाभिव्यक्ति
अमूल्य धन संसार में,है मानुष व्यवहार
जितना संचित जो करे उतना सुन्दर संसार
सत्कर्मों में न हो कंजूसी,लुटाओ खूब प्यार
मिलने वाला कहे-पहले क्यों नहीं मिले यार।
करता करे न कर सके ,जो विनम्रता कर जाए
प्रेम से बोले जो बोल , तो जग अपना हो जाए
वाणि-प्रभाव जानिए , दुश्मन भी दोस्त बन जाए
विनम्र बन मीठा बोलिए , हर कटुता मिट जाए।
सफलता की सीढ़ी कितनी भी चढ़ जाओ
जग में कितना भी चाहे नाम कमाओ
जीवन सार्थक होगा उस दिन सच मानो
जब कोई अंजान कहेगा 'दस्तख्त प्लीज!