शायरी शायरी
हर बार चेहरा बदलकर मुझको पकड़ती रहीं। हर बार चेहरा बदलकर मुझको पकड़ती रहीं।
बस खुद को ढूंढ़ती एक आम सी नारी हूँ मैं। बस खुद को ढूंढ़ती एक आम सी नारी हूँ मैं।
हर जगह इस 'विश' को चाहे अंजान कर दे हर जगह इस 'विश' को चाहे अंजान कर दे
मन की बहती धारा को अंदर तक मानो हिला गया। मन की बहती धारा को अंदर तक मानो हिला गया।
सुना था मोहब्बत रुह की जागीर होती है, अब तो महज़ दिल बहलाने का सामान लगती है। सुना था मोहब्बत रुह की जागीर होती है, अब तो महज़ दिल बहलाने का सामान लगती है।