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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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एहसास

एहसास

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हर बार उसके बात करने का ढंग,

देता था अजीब सा दुखद एहसास,

बातें उसकी में होता बेढंगा परिहास

हर बार लगता मानो उड़ा रहा उपहास।


पता नहीं क्यों उससे मिलने से मन कतराता,

मानो अपने मजाक उड़ने का पूर्वाभास होता,

फिर भी बेमन से हर बार मिलने चला जाता,

पीड़ित आभास होता फिर भी मैं मुस्कुराता ।


प्रयास यही कि कहीं उसे बुरा न लगे,

औपचारिकता निभाने उससे मिलता,

खुदा ही जाने उसके अन्तर्मन की बातें,

मैं तो दर्दे एहसास संग लेकर लौटता।



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