हमारी पृथ्वी
हमारी पृथ्वी
आज हमारा हाल अब ऐसा हो रहा
अपने किए पर इंसान सिर धुन रहा।
जो सुन्दर पृथ्वी पूर्वजों ने बसाई
वो मानव ने स्वार्थ की भैंट चढ़ाई।
हरियाली तो मानो जैसे हवा हो गई
किताबों व पोस्टरों की शोभा बन गई ।
प्रदूषण का प्रभाव वातावरण को खा रहा
दूषित वायु ,साँस लेना भी दूभर हो रहा ।
अभियान चाहें हम कितने भी चलाएँ
प्रदूषण के दानव को कैसे भगाएँ!
मन को अपने इतना समझाओ
धरती माँ को हरा भरा बनाओ।
हरित क्रांति है खुशी का समावेश
हरा भरा रहेगा सदा अपना देश।
जागरूकता पृथ्वी के प्रति जगाओ
देश को खुशहाली की राह ले जाओ।