सुखी परिवार
सुखी परिवार
जहाँ प्यार है , विश्वास है,
इक दूजे का मान है ,
सभी का सम्मान है
रिश्तों की ऊँची मीनार है।
जो खुशियों का खजाना है,
जो दुखों से बचाती ढाल है,
वह कोई और नहीं है दोस्तों,
बस सबसे सुखी परिवार ,
वह संयुक्त परिवार है ।
जहाँ बहती है संस्कारों की नदियाँ
वहन होता है संस्कृति का
सुंदर है हर मन बगिया
खुश है जुड़े हैं अपनी धरा से
अपनी संस्कृति ,अपनी सभ्यता से।
यही है हमारी पहचान
यही है हमारा गुमान
संयुक्त जहाँ परिवार है ,
सब इक दूजे का मान हैं।
समय के साथ साथ
जीवन में बदलाव आया है
परिवार छोटे व एकल होते जा रहे हैं
कारण नौकरी हो या बच्चों का विदेश चले जाना
अब परिवारों का विघटन हो रहा है।
फिर भी एक बात है
परिवार बेशक छोटे हैं
पर दिल सबके छोटे नहीं हैं।
इंसान, इंसान की सोच में अंतर आया है
दूर रहकर भी परिवार को संयुक्त बनाया है
कुछ बंधनों में बंधकर जी कर
आज भी बहुत से सुखी परिवार हैं।
दूरी तो मजबूरी है पर मन का पास होना जरूरी है
जो यह बात जान गया वह जीवन जी गया
सुखी ,सुखी भवसागर पार कर गया ।
पर एक बात से तब होंगे सहमत
जो दादा दादी नाना नानी के संग रहते हैं
वे जीवन में बहुत ऊँचा उठते हैं
उन्हें संस्कार सिखाएं नहीं जाते
बल्कि स्वयं पूरित हो जाते हैं
रिश्तों का मान करना पैदा होते ही सीख जाते हैं
'तू' और 'आप' का अंतर समझ जाते हैं।
हमारी खुशियों का खजाना है हमारा परिवार,
हर खुशी हर गम का साथी हैं हमारा परिवार ,
पाँचों अंगुलियां बराबर नहीं होती
सब के संग चल आगे बढ़ना सिखाता है हमारा परिवार।