मुझे ये वरदान दे दो
मुझे ये वरदान दे दो
देश में मेरे ना हिन्दू हो ना मुस्लिम हो,
गली से जिस भी मैं गुजरूं मज़ारें हो ना मंदिर हों,
बस एक ही पूजा करें भारत के सब वासी,
भारत ही मक्का हो दिखे भारत में ही काशी।
देश की उन्नति हमारी प्यास बन जाए,
देश ही सपनों में हो ये आस बन जाए,
बस एक ही इच्छा सदा मन में मेरे मौला,
बालक यहां जो जन्म ले सुभाष बन जाए।
गांधी भले हो भगत आज़ाद बन जाए,
हर बच्चा ये मेरे देश का एक आग बन जाए,
कोई प्रेम से जीते जहां कोई बोले कड़क बोली,
क्रान्ति का हर एक अब यहां पर्याय बन जाए।
फल फूल से भरी रहे हर वृक्ष और डाली,
नर ही नहीं मेरे देश की नारी भी हो बलशाली,
मैं मांगती वरदान एक केवल यही दाता,
लौटा दो मेरे देश की छवि विश्वगुरु वाली।।
