स्नेह रंग
स्नेह रंग
कुछ ऐसा हो जाए कि सब खुश हो पाए,
दिल के जज़्बातों को कभी तो बाहर लाए,
हंसते तो बहुत है सब, पर खुश नहीं हो पाते,
दिलों में रंजिशें रख, मन ही मन कराहते
चलो कुछ लाभ रंगों का भी ले लिया जाए,
मन में जो कुछ है बस खुल के बोल दिया जाए,
आगे क्या होना है ये कौन जान पाया है?
हार-जीत, जीवन-मृत्यु सब उसी की माया है,
थोड़ा प्रयास कर हृदय द्वार खोल दें
रंग बरसाएं स्नेह का, प्रेम का रंग घोल लें ।।