पिता
पिता
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सोच रही हूं कि साझा कुछ जज़्बात करुं,
पर बात पिता की है कहां से शुरूआत करुं,
उनके सम्मान को चंद शब्दों में कहां बयां कर पाऊंगी
मैं हर समर्पण को एक दिन में कैसे बता पाऊंगी
चलो कोशिश करती हूं कि कुछ भाव बता पाऊं,
और चंद शब्दों में सब कुछ कह जाऊं
मां के जीवन का आधार और परिवार की शान होते हैं,
पिता बेटों के लिए आधारस्तम्भ तो बेटियों की जान होते हैं,
परिवार के रक्षक बन कर तो हर मुश्किल से लड़ लेते हैं,
पर बेटी की विदाई पर उनके अश्रु झलक पड़ते हैं,
कभी सुपरहीरो तो कभी गोडफादर कहल
ाते हैं,
बच्चों की एक मुस्कान में वो सारा जहां पाते हैं,
जिनका एक एक शब्द प्रसाद के समान है,
वो पिता ईश्वर का दिया गौरवान्वित वरदान हैं,
लेकिन कुदरत के आगे कहां किसी की चलती है
कहीं कहीं पिता की कमी हमेशा के लिए खलती है,
पर हम इस बात के लिए क्यों फरियाद करें,
अपने सुपरहीरो को क्यों ना खुशी से याद करें,
मन में गर्व का भाव लिये उनका सम्मान करती हूं,
और अंत में पिता शब्द को नतमस्तक प्रणाम करती हूँ ।।