अग्रसर
अग्रसर
स्कूल शिक्षा पूरी कर कालेज की ओर बढ़ रही थी,
कुछ ख्वाब बटोर रही थी और नए दोस्त ढूंढ रही थी,
पढ़ना, हंसना, घूमना हर पल खुशी से जी रही थी,
मात-पिता के विश्वास को साथ लिए चल रही थी,
हर छोटी या बड़ी बात मां को आकर बताती थी,
और मां के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ जाती थी
उनकी वो मुस्कान मुझे उस फक्र का एहसास करवाती
कि मेरी बेटी मुझसे कुछ नहीं छुपाती।