सवयंभू
सवयंभू
हट पगले ये अट्टाहास है,
मृत्यु का ये परिहस है,
डम डम डम डम डमरू बाजत,
स्वर मधुर ये बहुत खास है।
धक धक धक धूनी जला,
चल भोले को भोग लगा,
जल मे थल मे और अचल मे,
बम भोले का डंका बजा।
मेरा भोले है स्वयंभू,
उसको पल पल गाऊँगा,
लेकर निर्मल जल गंगा का,
देवघर मैं जाऊंगा।
सपने देख दौड़ लगा सरपट भागा जा,
गिर गये तो क्या हुआ फिर उठ खडा हो जा,
रख भोले पर भरोसा आगे बढ़ता जा,
क्योंकि कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।