ईजाजत नहीं
ईजाजत नहीं
किसी की कुदृष्टि में वह उपभोग्य हैं
तो उसे आज़ादी की इजाजत नहीं
उसके सम्मान का सम्मान रहे
क्या यह ईस समाज कि ज़मानत नहीं!
अपने सारे किरदार निभाती
खुदको रिश्तों के ही नाम देती
कुछ बंध जाती ज्यादातर बांधी जाती
सबसे जुड़ते जुड़ते खुदसे टूट जाती
सब सवारती संभालती सुलझाती
खुद मगर उलझ के रह जाती
याद उसे भी नहीं कुर्बानियां उसकी
वह खुदको भी कुर्बान कर जाती
हर ढांचे में ढल जाने की कला हैं उसमें
मगर ईस ज़माने को जबरदस्ती की इजाजत नहीं
अपने अस्तित्व की आकृति सलामत रखे वह
स्त्री को स्वाभिमान से समझौते की इजाजत नहीं।