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Subhransu Padhy

Inspirational

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Subhransu Padhy

Inspirational

।। मेरे पसंदीदा शिक्षक ।।

।। मेरे पसंदीदा शिक्षक ।।

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सर को न देखे हुए, न मिले हुए उनसे कभी,

सर को न देखे हुए, न मिले हुए उनसे कभी,

बस जितना बात किया हूँ उनसे..

सिर्फ़ उसी से मैंने उनको महसूस कर के देखा है,

हफ्ते में ६ हनर्स और बी.एड. क्लास होते हुए भी

उन शिक्षकों से ज्यादा मैंने सत्यजीत सर को 

बच्चों का सबसे पसंदीदा शिक्षक बनते देखा है।


" सहकारी और सुलभ शिक्षकों " के बारे में सुना था सिर्फ़ पहले,

" सहकारी और सुलभ शिक्षकों " के बारे में सुना था सिर्फ़ पहले,

पर १८ मार्च के दिन से उनको हमारे सामने होते देखा है,

यूनिवर्सिटी में अगर कोई शिक्षक फ़ोन उठा ले तो वही बड़ी बात है हमारे लिए,

यूनिवर्सिटी में अगर कोई शिक्षक फ़ोन उठा ले तो वही बड़ी बात है हमारे लिए,

पर मैंने तो उनको कई बार कॉल बैक तक करते देखा है।


जब जब हमें समझ नहीं आता था कोई चीज़,

तो उनको बड़े धैर्य से हमें समझाते हुए देखा है,

कभी यूनिवर्सिटी के काम से तो कभी दूसरे कक्षाओं को पढ़ाने में,

कभी यूनिवर्सिटी के काम से तो कभी दूसरे कक्षाओं को पढ़ाने में,

चाहे कितना भी व्यस्त क्यों न रहते हैं वह,

चाहे कितना भी व्यस्त क्यों न रहते हैं वह,

पर हम बच्चों के लिए उनको हमेशा वक़्त निकालते देखा है।


नारीवाद अवधारणा , पितृसत्तात्मक समाज, स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं की भागीदारी , मातृवंशीय और पितृवंशीय प्रथाएं,

यह सभी विषयों को हमें बखूबी से पढ़ाते देखा है,

और कहीं कम न हो जाए मार्क्स बच्चों के,

और कहीं कम न हो जाए मार्क्स बच्चों के,

इसलिए उनको इतवार में भी क्लास लेते देखा है।


बच्चों का हमेशा साथ देने वाले ऐसे गिने चुने चंद शिक्षकों में से मैंने सिर्फ उनको आते देखा है,

जनाब कौन कहता है कि खत्म हो गयी है अच्छाई इस कलियुग में,

जनाब कौन कहता है कि खत्म हो गयी है अच्छाई इस कलियुग में,

पर मैंने तो उनके अंदर सच्चाई, अच्छाई और ईमानदारी को आज भी बरकरार रहते देखा है।


साहब " लोग कहते हैं कि यंग टीचर्स थोड़े गुस्से वाले होते हैं, " 

साहब " लोग कहते हैं कि यंग टीचर्स थोड़े गुस्से वाले होते हैं, " 

पर कोई आकर देखे हमारे " सत्यजीत सर " को...

उनसे मिलने के बाद...उनसे मिलने के बाद,

यह गलतफहमी को भी मैंने दूर होते देखा है।


हम बच्चों के डाउट क्लियर करने के लिए उनको हमेशा तैयार रहते देखा है,

यहाँ तक कि छोटी से छोटी चीजों को भी 

यहाँ तक कि छोटी से छोटी चीजों को भी ...

हमारे लिए ओड़िया में भी समझाते देखा है,

और जब बात करता हूँ सर से... 

तो मैंने हर बार...हर बार उनके अंदर मेरा परिवार रहते देखा है।


आंतरिक परीक्षा के दौरान हमसे ज्यादा उनको परेशान रहते देखा है,

आंतरिक परीक्षा के दौरान हमसे ज्यादा उनको परेशान रहते देखा है,

खुद के पी.एच. डी सबमिशन होने के बावजूद भी...

उनको १०० - १०० कॉपीयां मोबाइल में चेक करते देखा है,

क्लास के बारे में अब क्या ही बताऊं...

क्लास के बारे में अब क्या ही बताऊं...

वही एक ही विषय को बिना परेशान हुए चार दिन बाद भी..

अगर पूछता था कोई लड़का तो उसको उस समय भी बड़े प्यार से समझाते देखा है,

चाहे ४० ही बच्चे क्यों न हो क्लास में...

चाहे ४० ही बच्चे क्यों न हो क्लास में...

पर उनको ४ बजे तक बिना खाना खाए हमें निष्ठा से पढ़ाते देखा है।


इस मतलबी दुनिया में सिर्फ उनको एक अपना मानते देखा है,

इस मतलबी दुनिया में सिर्फ उनको एक अपना मानते देखा है,

कैसे हैं बच्चे ! ठीक है कि नहीं ? यहाँ तक हम बच्चों का हाल भी पूछते देखा है,

सिर्फ़ एक बार मदद माँगते ही बच्चे, 

उनको हमेशा आगे आते देखा है।


मेरे हर एक सफलता में उनको गर्व महसूस करते देखा है,

देते हुए आशीर्वाद मुझे, हमेशा प्रोत्साहित करते देखा है,

हाँ मानता हूँ कि थोडी बहुत डाँट मिलती थी हमको अटेंडेंस को लेकर,

हाँ मानता हूँ कि थोडी बहुत डाँट मिलती थी हमको अटेंडेंस को लेकर,

पर वह हैं ही इतने प्यारे कि

उनके डाँट में भी हमने प्यार नज़र आते देखा है।


नहीं रहते थे जो बच्चे क्लास में,

नहीं रहते थे जो बच्चे क्लास में,

उनके लिए हर क्लास के बाद सर को ग्रुप में अपना नोट्स और किताब से फ़ोटो भी भेजते देखा है, 

हम बच्चों के खातिर मैंने हमेशा उनको आगे आते देखा है,

साहब कौन कहता है कि खाली दुःख ही दुःख है इस कोरोना काल में...

साहब कौन कहता है कि खाली दुःख ही दुःख है इस कोरोना काल में...

इस महामारी के वक़्त भी यह पांच महीने उनके साथ हमने खुशी खुशी बिताते देखा है...

खुशी खुशी बिताते देखा है।



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