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Subhransu Padhy

Abstract

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Subhransu Padhy

Abstract

।। मेरे सपने ।।

।। मेरे सपने ।।

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शुभ्रांशु मेरा नाम है

लिखना मेरा काम है,

रहने वाला हूँ ओडिशा का 

जहां जगन्नाथ जी का धाम है। 


चिकेन का मैं पुजारी हूँ,

पब.जी. खेलने में माहिर हूँ

कविता लिखना पसंद है मुझे

और क्रिकेट में इमरान ताहिर हूँ।


यह प्यार मोहब्बत में थोड़ा

कमसिन और कायर हूँ,

जज़्बातों से खेलना पसंद है मुझे और 

सीधा दिल पर असर करने वाला शायर हूँ।


सपने ऊंचे रखता हूँ

सोच नेक रखता हूँ,

लोगों का दुःख दूर करने के लिए

भविष्य में एक कलेक्टर बनना चाहता हूँ।


बहुत बता दिया खुद के बारे में

दुनिया के लिए मेरे जो सपने हैं

अब वह बताना चाहता हूँ,

लगा होगा लॉकडाउन आपके वहाँ भी

तो आज मैं आपके लिए

मनोरंजन का साधन बनना चाहता हूँ।


भूखे के लिए खाना बन पाऊँ,

प्यासे के लिए पानी बन पाऊँ,

मैं जीवन में ज्यादा नहीं बस 

इतना ही सक्षम बनना चाहता हूँ,

बन पाऊँ किसी अनाथ का पापा,

और किसी गरीब का मैं बेटा बनना चाहता हूँ।


सहर के लोग तो बहुत कर लिए,

मैं गाँव का लड़का बन..

लोगों में परिवर्तन लाना चाहता हूँ,

मैं हुक्का , दारू , सिगरेट से स्वाग दिखाने वाला नहीं,

मैं बचे हुए तनखे को मंदिर में दान करना चाहता हूँ।


लोगों के खुशी का कारण बनना चाहता हूँ,

जरूरतमंदों के कष्ट का निवारण बनना चाहता हूँ,

मानवता के हर समस्या को जो हल कर दे

मैं वह समाधान बनना चाहता हूँ।


लोगों में भाईचारे का संचार कराना चाहता हूँ,

अपने और पराए में लोगों के मन में बैठे 

वह लकीर मिटाना चाहता हूँ,

फिर चाहे वह रमज़ान हो या राम नवमी

सबको गले मिलाना चाहता हूँ।


अन्याय , धार्मिक भेदभाव , भ्रष्टाचार,

फरिश्ता बन कर यह सब खत्म करना चाहता हूँ,

भारत को फिर सोने की चिड़िया वाला देश बनाकर

पूरे विश्व में इतिहास रचना चाहता हूँ।


बेटियों को अधिकार दिलाने वाला

वह संबिधान बनना चाहता हूँ,

याद दिलाकर लोगों को संस्कार

वृद्धाश्रम बंद करना चाहता हूँ।


घर परिवार के साथ साथ,

समाज का भला करना चाहता हूँ,

जब भी आए बात फ़ायदे की

खुद से पहले देश का सोचना चाहता हूँ।


बढ़ते प्रदूषण को रोकना चाहता हूँ,

परिवेश में हरियाली.. 

लोगों को फिर दिखाना चाहता हूँ,

साहब जो भी मैं कुछ सोच रहा हूँ

सब हकीकत में बदलना चाहता हूँ।


जनाब मैं दिमाग से नहीं...

हर रिश्ते को दिल से निभाना चाहता हूँ,

सपने तो बहुत है मेरे पर इस कलियुग में 

सबसे पहले एक इंसान बनना चाहता हूँ।



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