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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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ये जिंदगी मेरी

ये जिंदगी मेरी

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मैं इस बात से इत्तफाक नहीं रखता

कि ये जिंदगी मेरी है

या इस पर मेरा कोई अधिकार है।

ये जिंदगी महज एक यात्रा है

जिसके लिए ईश्वर की बनाई व्यवस्था है।

कुछ जिम्मेदारियां देकर हमें

ईश्वर ने इस संसार में भेजा है,

मैं तो बस उसके इशारे पर नाचता हूं

उसके निर्देशों का चुपचाप पालन करता हूँ।

अब तक जो कुछ अच्छा बुरा किया

या आगे मेरे माध्यम से वो चाहेगा

बस करना और करते जाना ही मेरी नियति है,

मैं एक भी पल के लिए आजाद नहीं हूँ

फिर कैसे कहूँ कि जिंदगी मेरी है?

जिंदगी न मेरी थी, न है और न ही हो सकती है

उसने जब चाहा मुझे संसार में भेजा दिया था

जब उसकी मर्जी होगी

इस संसार से विदाई हो जायेगी,

न आने में मेरी सहमति थी

न जाने में मेरी इच्छा का महत्व होगा,

होगा सिर्फ वही जो ईश्वर चाहेगा

मेरे चाहने मात्र से भी तनिक परिवर्तन नहीं होगा।

इसीलिए मैं आजाद हूँ

जिसने जिंदगी दी, वो ही जाने

ईश्वर जो भी करेगा अपने आप

ससमय अपने मन से ही करेगा

और यह भी सच है कहता हूँ आप सबसे

ईश्वर जो भी, जैसा करेगा, अच्छा ही करेगा।

क्योंकि उसके द्वारा संचालित 

इस जिंदगी के साथ

कुछ ग़लत हो जाये ऐसा तो नहीं होगा

अपनी मर्ज़ी से दी हुई इस जिंदगी के साथ

भला वो कभी भी ग़लत कैसे करेगा?

अपनी ही नज़रों में भला ईश्वर

हँसी का पात्र क्यों बनेगा?

जब कल भी ये जिंदगी उसी के अधीन थी

आज भी है और कल भी रहेगी

फिर वो ऐसा कोई खेल भला क्यों करेगा?

क्योंकि जिंदगी उसी की अमानत है

हमेशा उसी का आधिपत्य होगा। 



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